SMS Help line to Address Violence Against Dalits and Adivasis in India
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Case posted by | NDMJ - Himachal Pradesh |
Case code | HP-UNA-14 |
Case year | 26-Mar-2016 |
Type of atrocity | Abuses by caste name in any place within public view |
Whether the case is being followed in the court or not? | No |
Fact finding date | Not recorded |
Case incident date | 26-Mar-2016 |
Place | Village: Not recorded Taluka:Not recorded District: UNA(DP) State: Himachal Pradesh |
Police station | UNA SADAR |
Complaint date | 17-Jun-2016 |
FIR date | 31-Dec-1969 |
यह घटना जिला ऊना में पड़ते गांव वनगढ़ की है. यह गांव ऊना से लगभग 18 कि०मी० की दुरी पर है. इस गांव में 1961 में बाबा गामे शाह जी ने अपना दरबार(मजार) बनाया. बाबा गामे शाह जी को कोकोवाल पंजाब से वनगढ़ के साथ लगते गांव जखेड़ा के राय साब लेकर आये थे व उनको दरबार बनाने के लिए ज़मीन भी दी थी. राय साब के इस दुनिया से चले जाने के बाद सरकार द्वारा बाबा गामे शाह जी पर दरबार के साथ लगाती भूमि पर नाजायज़ कब्जे का केस डाला गया जिस केस को लड़ने के लिए बाबा गामे शाह जी ने सतपाल सैनी निवासी गांव संतोषगढ़ को मुख्तेयारे आम बनाया. 1980 के करीब बाबा गामे शाह जी के इस दुनिया से चले जाने के बाद दरबार में बाबा प्रीतम शाह जी को गद्दी पर बिठाया गया और दरबार की सभी देख रेख का ज़िम्मा उन्हें ही दिया गया. बाबा प्रीतम शाह जी ने भी सतपाल सैनी निवासी गांव संतोषगढ़ को ही मुख्तेयारे आम रखा जो की अंदरूनी तौर पर दरबार को संभालने की फिराक में था. इसी दोरान बाबा प्रीतम शाह जी ने सन 1988 में गांव जखेड़ा से बाल अवस्था में से धर्म सिंह जाति वाल्मिक को अपना चेला बनाया व अपने पास दरबार में रखा. सतपाल सैनी को मुख्तेयारे आम होने कारण 2002 में सतपाल सैनी ने बाबा प्रीतम शाह जी से धोखे से एक इस्टाम पेपर पर साइन ले लिए थे. 2002 में ही बाबा प्रीतम शाह जी सरकार से केस हार गए व सरकार को झगड़े वाली ज़मीन का आधा हिस्सा देना पड़ा. इसके बाद सन 2010 में बाबा प्रीतम शाह जी ने अपने चेले धर्म सिंह को चोला पहनाया और 2012 में इस दुनिया से चले जाने से पहले धर्म सिंह को धर्म शाह का दर्जा दिया और गद्दी पर बिठा दिया. 2012 में बाबा प्रीतम शाह जी के चले जाने के बाद सतपाल सैनी ने बाबा धर्म शाह पर केस कर दिया की 2010 में बाबा प्रीतम शाह जी उसे दरबार सोंप गए है इसके लिए सतपाल सैनी ने बाबा प्रीतम शाह जी से धोखे से लिया 2002 का इसटाम पेपर 2010 में बनवाया. 2014 में जिला ऊना की आदालत में बाबा धर्मे शाह जी को केस का फैसला मिला और दरबार व व दरबार से सम्बंधित सब कुछ बाबा प्रीतम शाह जी के नाम रहा और सतपाल सैनी को दरबार के सम्बन्ध में से बाहर निकाला गया.
इस दरबार में पंजाब, हिमाचल, उतराखंड व अन्य कई राज्यों से भारी सख्यां में लोग श्रदा पूर्वक माथा टेकने के लिए आते है व हर साल 15 व 16 मई को इस दरबार में बहुत बड़ा भंडारा करवाया जाता है कवाल व कलाकारों द्वारा मंच भी लगाया जाता है. लेकिन इसी वनगढ़ गांव के राजपूत परिवारों को यह बात गवारा ना हुई की एक वाल्मीकि समुदाय के व्यक्ति को बाबा क्यों बनाया गया है. बाबा धर्म सिंह के वाल्मिक होने के वनगढ़ के राजपूतो ने सभी दलितों को गालिया निकालना शुरू कर दिया व दरबार में आने से रोकना भी शुरू किया. दिनाक 26 मार्च 2016 को राजपूतो ने अपनी पंचायत बुलाई जिसमे गांव की मौजूदा प्रधान परमला देवी का पति अरुण कुमार उर्फ़ टोनी सपुत्र तरसेम लाल, राज कुमार उर्फ़ राजी सपुत्र स्व: मेला राम, राज कुमार सपुत्र अमर सिंह, दीपू सपुत्र अशोक कुमार ओर्फ़ कोको, जैमल सपुत्र नेतर सिंह, रंजोध उर्फ़ जोली सपुत्र बिहारी लाल, सोहन लाल सपुत्र बिहारी लाल. सभी जाति राजपूत व रहने वाले वनगढ़ ने बाबा धर्म शाह के साथ जाति सूचक गाली गलौच किया व उन्हें दरबार से बाहर निकाल दिया तथा उनके कमरों में तौड फोड़ करके कीमती सामान निकाल लिया जिसमे कुल दरबार की 3 लाख के करीब नकदी भी थी.