Forest Department shot tribal on World indigenous Day (Code: MP-BHS-01-22, Date: 09-Aug-2022 )

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Case Title

Case primary details

Case posted by NDMJ
Case code MP-BHS-01-22
Case year 09-Aug-2022
Type of atrocity Murder
Whether the case is being followed in the court or not? No

Fact Finding

Fact finding date

Fact finding date Not recorded

Case Incident

Case Incident details

Case incident date 09-Aug-2022
Place Village: Not recorded
Taluka:Not recorded
District: VIDISHA(DP)
State: Madhya Pradesh
Police station Lateri
Complaint date 10-Aug-2022
FIR date 10-Aug-2022

Case brief

Case summary

पूरी दुनिया में 9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस मना रहा था उसी रात मप्र के विदिशा जिले की लटेरी तहसील के खट्टेपुरा गांव के जंगल में वन विभाग ने जंगल से लकड़ी ला रहे आदिवासियों पर गोलियां चला दी। जिसमें एक आदिवासी युवक चैन सिंह पिता सिरदार सिंह भील की मौके पर मौत हो गई वहीं 6 आदिवासी गोली लगने से घायल हुए। 

पीड़ितों के मुताबिक, घर में जरुरत के लिये गांव के कुछ साथी मोटरसायकल से नौ अगस्त 2022 को जंगल में लकड़ी लाने गये थे, लौटते समय बारिश की वजह से रात हो गई थी।  रात लगभग 10 बजे खट्टेपुरा गांव में जंगल से बाहर निकलते समय सामने से वन विभाग की दो जिप्सियां में सवार 15-16 हथियार बंद गार्ड ने घेर लिया और बिना कोई बात किये फायरिंग कर दी। पहली बाईक पर महेंद्र पिता सिरदार सिंह बैठा था और उसका बड़ा भाई चैनसिंह भील बाइक चला रहा था। लगभग 10 मीटर दूर सामने से गोली मारी तो चैन सिंह वहीं गिर गया, महेंद्र को भी पीठ पर गोली लगी तो वह वहीं गिर कर बेहोश हो गया। वन विभाग ने कई राउंड फायर किये जिसमें 7-8 आदिवासी घायल हुए और बाकी के भाग गये। इसके बाद वन विभाग की टीम मृतक और घायलों को वहीं छोड़ कर चली गई। गांव वालों की मदद से  घायलों को लटेरी के सरकारी अस्पताल लाया गया। जहां से गंभीर घायलों को विदिशा जिला चिकित्सालय रेफर किया गया, और इलाज के लिये भोपाल के हमीदिया  अस्पताल पहुंचाया गया। 

घटना के सुर्खियों में आने पर दूसरे दिन सरकार द्वारा मृतक चैन सिंह के परिवार को 25 लाख रु. का चैक और चार घायलों को 5-5 लाख रुपये के चेक दिये गये।

वर्तमान में महेंद्र जो गंभीर रुप से घायल हो गया था उसकी रीढ़ से छर्रा निकाल  दिया गया है लेकिन शरीर के बाकी हिस्सों में अभी भी छर्रे धंसे हेैं। बिना सहारे के वह उठ बैठ और चल नहीं सकता है,  वहीं घायल भगवान सिंह भील के पैरों में छर्रे लगने की वजह से उसका भी चलना फिरना बंद है। सरकारी अस्पताल से उन्हे कोई सुविधा नहीं मिल रही है। प्रायवेट से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। 

घटना का विशेष पहलु यह भी है केि एक आदिवासी की मौत और छह आदिवासियों के घायल होने पर मामले को दबाने के लिये एक अनु.जाति के वनकर्मी को आरोपी बना कर  केस एफआईआर में अनु.जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा नहीं लगाई गई, वहीं वन विभाग द्वारा विदिशा जिले में काउंटर केस दर्ज कराया गया है।

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