
SMS Help line to Address Violence Against Dalits and Adivasis in India
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यह घटना जिला ऊना की नगर परिषद संतोषगढ़ की है, जो जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां चेतना (काल्पनिक नाम), उम्र 15 वर्ष, कक्षा 11वीं की छात्रा, दलित समाज (चमार जाति) से संबंधित, अपने परिवार के साथ रहती है। उसके पिता मजदूरी करते हैं।
दिनांक 27-06-25 को, जब चेतना अपनी सहेली के घर से लौट रही थी और परशुराम चौक के पास पहुँची, तो वहां एक युवक शराब पीकर अपनी गाड़ी लेकर खड़ा था। उसने चेतना को जबरन अपनी गाड़ी में बैठा लिया और किसी सुनसान ईंट-भट्टे पर ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती की तथा उसकी फोटो भी खींच ली।
बाद में, दिनांक 30-07-25 को जब चेतना स्कूल जा रही थी, तब उसी युवक ने गाड़ी (नंबर HP35-2112) में उसका पीछा किया और फोटो दिखाकर उसे ब्लैकमेल करने लगा। उसने कई बार उसे रोका और अपने साथ बैठने के लिए दबाव बनाया। चेतना ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और स्कूल जाकर अपने अध्यापकों को सारी घटना बता दी।
इस शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ थाना पुलिस में मामला दर्ज किया गया, जो कि धारा 126(2), 127(2), 74, 75(2), 78(2) BNS एवं धारा 8, 12 POCSO Act के अंतर्गत पंजीकृत हुआ।
यह घटना जिला ऊना, तहसील हरोली, गाँव बाथू की है, जहाँ दलित समाज से सम्बन्धित निशा देवी पुत्री सुरजीत सिंह रहती हैं। लगभग 7 वर्ष पूर्व उनकी शादी सुभाष चंद निवासी बहली मोहल्ला, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश के साथ हुई थी, परंतु पति एवं ससुराल पक्ष से मारपीट और उत्पीड़न के कारण वह पिछले 2 वर्षों से मायके में ही रह रही हैं।दिनांक 04-03-2024 से 30-04-2025 तक निशा देवी ने गाँव अमराली, तहसील हरोली स्थित Zeera Foods Pvt. Ltd. फैक्ट्री में पैकिंग वर्कर के रूप में कार्य किया। वह इस फैक्ट्री में ठेकेदार रमन राणा के माध्यम से कार्यरत थीं। अक्तूबर 2024 में जब सभी मजदूरों को दिवाली बोनस दिया गया, तो ठेकेदार ने बाद में मजदूरी में कटौती की, जो कि नियमविरुद्ध था। इस पर निशा देवी ने आपत्ति जताई, जिससे ठेकेदार का व्यवहार उनके प्रति शत्रुतापूर्ण हो गया और वह लगातार बहाने बनाकर उन्हें प्रताड़ित करने लगा।
मार्च 2025 में बीमारी के कारण निशा देवी ने ESI कार्ड के माध्यम से उपचार लिया और 25 मार्च को फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त किया। इसके बावजूद ठेकेदार ने उन्हें 4 अप्रैल तक काम पर नहीं आने दिया। 4 अप्रैल को ही दबाव डालकर उनसे बिना तारीख वाला इस्तीफा लिखवाया तथा बाद में उन्हें दोबारा काम पर रखा।दिनांक 26-04-2025 से 30-04-2025 तक वह अपने भाई की शादी के कारण अवकाश पर रहीं। 30 अप्रैल को ठेकेदार ने उन्हें फोन कर कहा कि GM के बुलाने पर ही काम पर आएं। इसके उपरांत 03-05-2025 को उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी गई। निशा देवी ने इस पर लेबर इंस्पेक्टर के पास शिकायत दर्ज की। 06-05-2025 को ठेकेदार ने पुनः नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया, परंतु बाद में मना कर दिया।03-05-2025 को ही लेबर इंस्पेक्टर द्वारा दोनों पक्षों को काउंसलिंग हेतु ऊना लेबर कोर्ट बुलाया गया। काउंसलिंग के उपरांत जब निशा देवी अपने सहकर्मी रजत शर्मा के साथ कोर्ट परिसर से बाहर आईं, तो ठेकेदार रमन राणा अपने एक साथी के साथ वहाँ पहुंचा और बिना कारण विवाद करने लगा।
इस दौरान उसने जातिसूचक गालियाँ दीं और धमकी देते हुए कहा –
"सालो चमारो, तुम लोग चमार ही रहोगे। मैंने आज तक चमारों को अपनी जूती के नीचे रखा है, तुम क्या चीज हो। तुम्हें अब औकात दिखाऊँगा।"
निशा देवी ने इस संबंध में थाना टाहलीवाल में शिकायत दी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब उन्होंने DSP हरोली मोहन रावत से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि “इसमें कोई कार्यवाही नहीं बनती, आप लोगों से तो बात करने से भी डर लगता है।”
इसके बाद निशा देवी ने जिला ऊना में ASP श्री सुरेंद्र शर्मा को शिकायत पत्र प्रस्तुत किया और दोषी रमन राणा के विरुद्ध SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत मामला 23-06-2025 को दर्ज करवाया।
यह घटना तहसील बंगाणा के गांव सतरुखा की है। इस गांव में नानक चन्द, पुत्र स्वर्गीय सिख राम उर्फ माडू राम, निवास करता है। उसकी आयु लगभग 64 वर्ष है और वह चमार जाति से सम्बन्धित है। नानक चन्द MSME/AD विभाग से सेवा-निवृत्त कर्मचारी है।
नानक चन्द को किसी व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से यह जानकारी मिली कि बंगाणा से सटे गांव नायली में पंडित प्रकाश चन्द शर्मा, पुत्र स्वर्गीय उधो राम, जो लगभग 70 वर्ष के हैं और एक समाज सेवक हैं, ने अपनी साझा (मुस्तरका) भूमि पर एक मंदिर का निर्माण किया है। इस मंदिर में उन्होंने बाबा पहाड़िया, सुभाष चन्द्र बोस, अपने माता-पिता तथा श्री गुरु रविदास महाराज जी की प्रतिमाएं स्थापित की हैं।
श्री गुरु रविदास जी की प्रतिमा स्थापित होने के एक माह पश्चात् दिनांक 12.04.2025 को पंडित प्रकाश चन्द शर्मा ने एक भंडारे का आयोजन किया और आसपास के गांवों में विशेष रूप से दलित समाज को आमंत्रित किया। इस दौरान उन्होंने नानक चन्द को यह बताया कि जब से उन्होंने श्री गुरु रविदास महाराज जी की प्रतिमा स्थापित की है, तब से उनके मोहल्ले के कुछ शरारती तत्व विरोध करने लगे हैं और कह रहे हैं कि वे “एक चमार की मूर्ति को माथा नहीं टेकेंगे।” पंडित प्रकाश ने नानक चन्द को यह भी स्पष्ट किया कि जिस स्थान पर प्रतिमा स्थापित की गई है, वह भूमि उनके हिस्से की है।
भविष्य में किसी प्रकार का विवाद न हो, इस आशय से दिनांक 08.04.2025 को पंडित प्रकाश चन्द ने जिला उपायुक्त ऊना को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् 10.04.2025 को स्थानीय समाचार पत्र में यह प्रकाशित हुआ कि पंडित प्रकाश चन्द के ही गांव के कुछ लोगों ने जिला उपायुक्त से मिलकर उक्त भूमि को लेकर अदालत में दावा दायर कर दिया है।
इसके बाद 11.04.2025 को एसडीएम बंगाणा के निर्देश पर तहसीलदार अमित शर्मा ने पंडित प्रकाश चन्द को दूरभाष पर सूचित किया कि वे उसी शाम उस स्थल पर आएंगे ताकि प्रार्थना पत्र के विषय में बातचीत की जा सके। पंडित प्रकाश चन्द के मोहल्ले में जहाँ मात्र 23 ब्राह्मण परिवार रहते हैं, उस शाम वहाँ लगभग तीन सौ लोग एकत्रित हो गए, जिनमें बाहरी गांवों से आए राजपूत जाति के लोग भी शामिल थे।
नानक चन्द अपने बेटों और समाज के अन्य लोगों सहित इस सभा में उपस्थित हुआ। बातचीत के दौरान मनोज शर्मा फेसबुक पर लाइव वीडियो प्रसारित कर रहा था और कई लोग भड़काऊ भाषण दे रहे थे। सभा में नानक चन्द और उसके साथियों को “दूसरी जाति,” “नीच जाति,” तथा “बाहरी लोग” कहकर अपमानित किया गया। इस दौरान मनोज शर्मा और रणवीर राणा सहित अन्य लोगों ने नानक चन्द की गाड़ी तोड़ने तथा उसे जान से मारने की धमकियाँ भी दीं। स्थिति तनावपूर्ण होने पर तहसीलदार ने आदेश पारित किया कि गुरु रविदास जी की प्रतिमा को वहां से हटाकर पंडित प्रकाश चन्द के घर के बरामदे में रख दिया जाए। इसके उपरान्त पुलिस ने नानक चन्द और उसके साथियों को वहाँ से बाहर निकाला।
यह घटना जिला ऊना, तहसील अंब, उप-तहसील भरवाई, गांव व डाकघर धर्मशाला महंता की है। इस गांव में दलित समाज से बलवंत सिंह पुत्र श्री रुलिया राम रहते हैं, जो एक समाजसेवी व्यक्ति हैं। वर्ष 2018 में बलवंत सिंह ने अपने गांव में 37 कनाल भूमि खरीदी, जिसमें आधी भूमि कृषि योग्य है और आधी जंगल के रूप में है। वर्ष 2020-21 में उन्होंने यह भूमि अपने इकलौते पुत्र पवनजीत सिंह के नाम कर दी, जबकि मुख्तयार-ए-आम (पावर ऑफ अटॉर्नी) अपने पास रखा। भूमि विक्रेताओं ने बिक्री के समय भूमि का सीमांकन बता दिया था और उसके बाद बलवंत सिंह ने दस्तावेज़ अनुसार भूमि का कब्जा लेते हुए चारों ओर कांटेदार तार लगवा दी।
भूमि खरीद के कुछ समय बाद ही, वर्ष 2018 में गांव की पुष्पा देवी पत्नी स्वर्गीय रूप चंद, जाति ब्राह्मण, तथा उसके दोनों पुत्र राजकुमार और उपिंदर ने बलवंत सिंह की ज़मीन से कांटेदार तार उखाड़कर अपने घर ले गए। इसके बाद जनवरी 2019 में इन्हीं लोगों ने बलवंत सिंह की भूमि पर लगे बांस (बम्बू) के पेड़ों का झुंड मजदूर लगवाकर और स्वयं मिलकर काट लिया। चूंकि बलवंत सिंह का घर भूमि से लगभग 1 किमी दूर था, इसलिए उन्हें इसकी जानकारी कुछ दिन बाद मिली। इस बाबत बलवंत सिंह ने 10.01.2019 को पुलिस में शिकायत दी, लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि दोषियों का कहना था कि भूमि उनकी है, जबकि ऐसा नहीं था।
इसके बाद बलवंत सिंह ने अपनी भूमि खसरा नं. 1172, 1178 और 1166 की 19.11.2019 तथा 23.07.2021 को राजस्व विभाग के अधिकारियों से निशानदेही करवाई। खसरा नं. 1172 और 1178 की निशानदेही पूरी होने के बाद जब खसरा नं. 1166 की निशानदेही शुरू हुई तो पुष्पा देवी एवं उसके परिवार ने विरोध किया और कहा कि वे स्वयं निशानदेही करवाएंगे, जो कि अब तक नहीं करवाई गई। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि जिस भूमि (खसरा नं. 1172 और 1178) को पुष्पा देवी व उसका परिवार अपना बता रहे थे, वह राजस्व विभाग की निशानदेही में गलत पाई गई और वास्तविक स्वामित्व पवनजीत सिंह (पुत्र बलवंत सिंह) का ही सिद्ध हुआ।
दिनांक 17.03.2021 को पुष्पा देवी, उसके पुत्र राजकुमार और उपिंदर ने खसरा नं. 1172 और 1178 में से बलवंत सिंह की भूमि पर लगे आठ खैर (कत्था) के पेड़ काट लिए। बलवंत सिंह ने इसकी शिकायत थाना चिंतपूर्णी में दी, परंतु पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज करने के बजाय केवल सामान्य धाराओं 341, 347, 34 IPC में मामला दर्ज किया। इन आठ खैर के पेड़ों की कीमत लगभग ₹50,000 थी, जबकि वन विभाग के अधिकारियों ने इसका मूल्यांकन मात्र ₹17,290/- बताया। बाद में जब पुलिस रिपोर्ट प्राप्त हुई तो उसमें यह दर्ज था कि ठेकेदार ने दोनों पक्षों को पैसे दे दिए हैं और उसे यह जानकारी नहीं थी कि भूमि किसकी है। जबकि राजस्व दस्तावेज़ और निशानदेही के अनुसार भूमि का स्वामित्व पवनजीत सिंह का ही है।
हाल ही में, दिनांक 23.03.2024 को बलवंत सिंह ने अपनी भूमि खसरा नं. 1178 पर लगे बांस के पेड़ों का झुंड ठेकेदार को बेच दिया। ठेकेदार ने जब 35-40 बांस काट लिए, तभी पुष्पा देवी वहां पहुंची और ठेकेदार को जबरन रोक दिया तथा दावा किया कि यह भूमि और पेड़ उसके हैं। इस बाबत जब बलवंत सिंह लगभग दोपहर 1:30 बजे एक व्यक्ति को साथ लेकर पुष्पा देवी के घर पहुंचे और पूछताछ की, तो पुष्पा देवी ने बलवंत सिंह को अश्लील और जातिसूचक गालियां देते हुए कहा – “कुत्तेया चमारा, तेरा जीना हराम कर दूंगी, तुझे बताऊंगी कि ब्राह्मण की जमीन कैसे खरीदी जाती है।”
इस घटना के बाद बलवंत सिंह ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1100 पर दर्ज करवाई। पुलिस ने दो बार दूरभाष पर सम्पर्क अवश्य किया, लेकिन आज तक इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
घाना सूबे बिहार के पूर्वी चंपारण जिले दे चिरैया थाना क्षेत्र के खोड़ा बाज़ार की है . उठके तिथि को पीड़ित श्री रामप्रीत राम , उम्र करीब ६६ वर्ष , पिता स्वर्गीय ठागा राम ग्राम मठिया भोपत , थाना लखौरा जिला पूर्वी चंपारण , जाती अनुसूचित , खोड़ा ग्राम निवासी श्री उपेन्द्र कुमार यादव ,उम्र करीब ४० वर्ष ,जाती पिछड़ी के यंहां अपने बकाये रुपये के लिए गया था . मालूम हो की रुपये धारक उपेन्द्र कुमार यादव द्वारा उक्त फ्तिथि को रुपया देने के लिए श्री राम को बुलाया था . श्री राम ने जब रुपये की मांग की तो उपेन्द्र कुमार यादव अपने तीन चार अज्ञात गुर्गों के साथ श्री राम के साथ दुर्व्योहर किया गया . उन्हें चमार हरिजन नीच आदि प्रकार की गलियां दी गयी . उनके साथ मार पीट की गयी और वहां से भगा दिया गया . आगे रुपये मांगने पर उनके विरुद्ध अप्रिय घटना को अंजाम देने की भी धमकिय श्री यादव द्वारा दी गयी . मालूम हो की उपेन्द्र कुमार यादव द्वारा विविध पारकर से श्री राम से 642000 रुपये ले लिए थे . वे देने से इंकार है .उक्त सन्दर्भ में sc/st थाना मोतिहारी में कांड स० : ७८/२५ दर्ज क्या गया है . विपक्षी के में आकर पुलिसे मामले को रफ्फा दफ्फा करना चाहती है .