
SMS Help line to Address Violence Against Dalits and Adivasis in India
Type ATM < your message > Send to 9773904050
]
यह घटना जिला ऊना की तहसील बंगाणा की है। बंगाणा तहसील के गांव कैहलम्वी में अजय कुमार व अंकुश कुमार दोनों स्पुत्र निक्का राम रहते है और वह चमार जाति से सम्बन्धित है। दोनों भाई प्राइवेट नौकरी करते है जिसमे अजय कुमार JCB मशीन चलाता है.
बंगाणा के कैहलम्वी में 26 अक्तूबर 2025 को अजय कुमार की बुआ की लड़की की शादी थी. इस शादी में अजय कुमार नहीं आ सका था वो उस दिन जिला हमीरपुर में JCB मशीन पर काम करने गया था. इस शादी में अजय कुमार का छोटा भाई अंकुश व उसका परिवार गया हुआ था. रात को शादी में बंगाणा के दनोह गांव की राजपूत जाति से दीपू, रवि व सचिन तीनों नशे की हालत में आये. ये तीनो अंकुश के साथ हाथा पाई व गाली गलोच करने लगे. जिस पर उपरोक्त तीनो ने अंकुश को बुरी तरह से पीटा यह घटना करीब रात बजे की है. उसी समय अंकुश ने अपने भाई अजय कुमार को फोन किया जो कि शादी में ना आकर JCB मशीन पर काम करने के लिए गया हुआ था करीब दो घंटो में अजय कुमार अपने भाई अंकुश के पास पहुँच गया. जिस पर रात को ही अजय कुमार ने अंकुश को साथ लेकर पुलिस थाना बंगाणा में शिकायत दर्ज करवाई जिस पर पुलिस ने इन दोनों को सुबह आने को कहा. दुसरे दिन भी पुलिस ने अंकुश व उसके भाई अजय को दोपहर तक थाना में ही बिठा रखा और पुलिस ने बिजली के कट का हवाला देते हुए शाम को आने को कहा फिर अंकुश व उसका भाई बंगाणा अस्पताल में दवाई लेने आये तो रास्ते में अस्पताल के पास ही दीपू, रवि, सचिन उपरोक्त ने अपने साथियों सहित अंकुश व उसके भाई अजय को घेर लिया व होकी और लोहे के कड़ो से बुरी तरह से मार पीट करी व जाति सूचक गालियाँ निकाली और बोले हुन साले चमारा तेनु छड़ना नहीं मारपीट के कारण मुझको कारण अजय को सर में 5 टाँके और अंकुश को 7 टाँके लगे. पुलिस ने दोषियों खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया है पर दोषी अभी भी सरेआम हथियार लेस हो कर घूम रहे है और पीड़ित को जान से मारने की धमकियां दे रहे है.
यह घटना जिला सोलन कीतहसील नालागढ़ के गाँव सालेवाल के एक समाज सेवी की है, आज देश को आज़ाद हुए 78 वर्ष से अधिक का समय हो गया है लेकिन दलित समाज के साथ अत्याचार व भेदभाव के मामले नहीं थम रहे है बड़े ही दुःख की बात है की दलित समाज के साथ अत्याचार तो हो ही रहे है पर जो कोई भी दलित समाज के हित की बात करता है या दलित समाज के लिए लड़ाई लड़ता है उसे या तो जान से मार दिया जाता है या उसके साथ बुरी तरह से मारपीट कर प्रताड़ित किया जाता है या उसे झूठे मामलों में फसाया जा रहा है. ऐसी ही एक घटना जिला सोलन के नालागढ़ में सामने आई है. नालागढ़ में दलित समाज के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले और दलित समाज की लड़ाई लड़ने वाले अनिल उर्फ़ लक्कीस्पुत्र कर्म चन्द के साथ अत्याचार की घटना घटित हुई है. अनिल उर्फ़ लक्की प्रोपटी डीलर का काम भी करता है.
10 अगस्त 2025 को गांव मंजोली सरसा नदी में ग्रामीण अवैध खनन का विरोध कर रहे थे जिसमे गांव वालों ने समाज सेवी होने के नाते अनिल उर्फ़ लक्की को मौका पर बुलाया जिस पर अनिल उर्फ़ लक्की ने मौका से पुलिस प्रशासन को फोन किया लेकिन पुलिस वाले एक दुसरे को बोलते रहे कि आप उसे फोन कर लो उसे कर लो अनिल उर्फ़ लक्की ने बताया कि मंजोली सरसा नदी में यहाँ अवैध खनन हो रहा था व पुल के नीचे से हो रहा था और पुल का एक पिल्लर पहले ही हिल्ल चुका है. उसके बाद 18 अगस्त को अनिल उर्फ़ लक्की के गांव सालेवाल में अवैध खनन हो रहा था जो अनिल उर्फ़ लक्की की ज़मीन के साथ ही था इस घटना बारे पुलिस थाना नालागढ़ को बताया जिस पर उन्होंने कार्यवाही करते हुए टीपर पकड़ा. इस घटना वावत तीसरे दिन अनिल उर्फ़ लक्की को विशन ठाकुर (DSP) पुलिस अधिकारी ने ऐसे खनन के मामलो से दूर रहने को कहा और पुलिस स्टेशन में भी उक्त पुलिस अधिकारी ने अनिल उर्फ़ लक्की के दोस्तों के सामने अनिल उर्फ़ लक्की को जाति तौर पर प्रताड़ित किया और कहा कि तू साले कोल्ली समाज का ठेका ले रखा है, तू टिक कर क्यों नहीं बैठता तेरे जैसे बहुत घुमते है. जिस पर अनिल उर्फ़ लक्की ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत करी है पर आज दिन तक कोई कार्यवाही अनिल उर्फ़ लक्की की तरफ से ना हुई है. उधर अनिल उर्फ़ लक्की के खिलाफ पुलिस प्रसाशन ने करीब डेड साल पुराना एक शादी की वीडियो में हथियार दिखाने का मामला बना कर अनिल उर्फ़ लक्की के खिलाफ झूठी प्रार्थमिकी दर्ज कर दी है जबकि उस दिन अनिल उर्फ़ लक्की अपने घर पर था और अपनी भाभी के जन्म दिन की पार्टी में शामिल था.
यह घटना जिला ऊना की तहसील अम्ब के गांव मैडी ख़ास की है. इस गांव में सुखराज पुत्र मंगत राम रहता है. जिसकी आयु 67 वर्ष की है. वह वन विभाग से सेवा निवृत है। वह गांव मैड़ी खास, तहसील अम्ब, जिला ऊना (हि०प्र०) का स्थाई निवासी है.
दिनांक 02-08-2025 को समय करीब 4:30 बजे शाम को जब सुखराज अपने खेतों में घास निकाल रहा था तो उसी समय उसे ट्रैक्टर से पत्थर नीचे गिरने की आवाज सुनाई दी। जब उसने खड़े होकर देखा तो रविन्दर ठाकुर अपने ट्रैक्टर ट्राली से रास्ता में पत्थर फेंक रहा था। जब सुखराज मौका पर गया तो वहाँ पर अतुल ठाकुर स्पुत्र प्यारा सिंह, श्रीमति रीना ठाकुर पत्नी अतुल ठाकुर, अमित ठाकुर स्पुत्र प्यारा सिंह थे सुखराज ने रविन्दर ठाकुर स्पुत्र धनी राम को जब रास्ता में पत्थर फेंकने का कारण पूछा तो वह सुखराज के साथ बदतमीजी पर उतर आए और कहने लगे कि हम इस रास्ता को पक्का करके ही छोड़ेंगे। जब सुखराज ने उपरोक्त अतुल ठाकुर, श्रीमति रीना ठाकुर, अमित ठाकुर व रविन्दर ठाकुर को ऐसा ना करने बारे कहा और उन्हे बताया कि यह जमीन खसरा नम्बर 647, 648, 651, 652, 658, 2104, 2105, 2145, 2146, 2148, 2149, 2150, 2151, 2152, 2153, 2154, 2156, कित्ता 17 व 639, 640, 780, 781, 782 कित्ता 5, उसकी मलकीयती भूमि है, जिस सम्बन्ध में मुकद्दमा अनुबान "सुखराज बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार आदि", माननीय अदालत कोर्ट नo 2, तहसील अम्ब, जिला ऊना (हि०प्र०) के कोर्ट में विचारीधीन है और सुखराज ने उपरोक्त सभी से कहा कि इस पर किसी प्रकार का रास्ता जबरदस्ती बना कर नाजायज कब्जा मत करो। इतनी बात सुनते ही उपरोक्त अतुल ठाकुर, श्रीमति रीना ठाकुर, अमित ठाकुर व रविन्दर ठाकुर इतने गुस्से में आ गए कि सुखराज को जोर जोर से कहने लगे कि तेरे चमार दी क्या औकात है कि तू सानू ठाकरां नू इत्थे रास्ता बनान ते रोके। हुन चमार वी साडे सामणे गल्लां करण गे और कहने लगे कि यह पी.डब्ल्यू.डी. का रास्ता है और गुस्से में आकर अतुल ठाकुर और अमित ठाकुर ने सुखराज को गले और बाजुओं से पकड़ लिया। सुखराज के खेत में लगा हुआ मजदूर, जिसका नाम करनैल सिंह पुत्र ध्यान चन्द जो कि गाँव अन्दौरा का रहने वाला है, तनाजा बढ़ता देख कर सुखराज को उपरोक्त अतुल ठाकुर और अमित ठाकुर से छुड़ाया, जिसके बाद सुखराज अपने पुत्रों को फोन करके बुलाया और स्वयं को घर ले जाने बारा आग्रह किया, इतनी देर में उपरोक्त गांव पंचायत प्रधान श्रीमति रीना ठाकुर ने कुछ ग्रामीणों को मौका पर इकट्ठा कर लिया और उपरोक्त अतुल ठाकुर, श्रीमति रीनां ठाकुर, अमित ठाकुर व रविन्द्र ठाकुर और मौका पर इकट्ठा हुए ग्रामीण सुखराज से ही गाली गलोच करने लग पड़े, मौका पर खड़े ग्रानीणों को सुखराज पहचान सकता है। जिसके बाद अनहोनी होने के डर से मौका से सुखराज के पुत्र उसे घर ले गए, ताकि उपरोक्त अतुल ठाकुर, श्रीमति रीना ठाकुर, अमित ठाकुर व रविन्दर ठाकुर और मौका पर खड़े ग्रामीण सुखराज व उसके पुत्रों के साथ किसी संगीन वारदात को अन्जाम ना दे दे। सुखराज एक हृदय रोगी हूँ। सुखराज को डर है कि उपरोक्त अतुल ठाकुर, श्रीमति रीना ठाकुर, अमित ठाकुर व रविन्दर ठाकुर कभी भी उसके साथ लड़ाई झगड़ा कर सकते हैं। श्रीमति रीना ठाकुर मौका की ग्राम पंचायत मैड़ी खास की प्रधान है, जिसका फायदा उठा कर कुछ ग्रामीणों को मौका पर इकट्ठा कर लेती है।
यह घटना जिला ऊना, तहसील हरोली, गाँव डीटां की है, जहाँ दलित समाज से सम्बन्धित दलजीत कौर पत्नी श्री रोशन लाल रहती हैं।जिसकी उम्र 24 वर्ष की है. वह अनुसूचित जाति में से चमार जाति से सम्बंधित हैं.वह शादी शुदा है.उसकी एक नवजात बेटी है जो कि मात्र अभी 16 दिन की हुई है. उसका पति पेंटर का काम करता है. वह लोगों के घरो को रंग करने का काम करता है. उसकी शादी को करीब 3 वर्ष हो गये हैं. उसके घर में उसकी सास व ससुर उनके साथ ही रहते है व घर के ऊपर बने टीन पोश मकान में उसका देवर व देवरानी रहते है.
दलजीत कौर के देवर ने अपनी मर्जी से गांव वोलेवाल त० हरोली जिला ऊना की मुस्लिम लड़की से प्रेम विवाह किया है और उनकी एक 3 वर्ष की बेटी भी है. दलजीत कौर की देवरानी का नाम शहनाज है. करीब एक महीना पहले किसी बात को लेकर उसकी देवरानी की उसके देवर के साथ कहा सुनी हुई जिसके बाद दलजीत की देवरानी घर छोड़ कही चली गई जिसका दलजीत व उसके पुरे परिवार को नहीं पता की उसकी देवरानी शहनाज कहा पर जाकर रह रही है. जिसकी गुमशुदगी की शिकायत दलजीत कौर के देवर ने 1100 नंबर पर भी करी है.
दलजीत कौर की देवरानी शहनाज की एक सहेली है जिसका नाम मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू स्पुत्री बग्गा, जाति जट, निवासी गांव व डाo हीरां, तहo हरोली जिला ऊना हि०प्र० है. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू का घर दलजीत कौर के घर से करीब 100 मीटर की दुरी पर ही है. जिस कारण अक्सर मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू का उसकी देवरानी शहनाज़ के पास आना जाना लगा रहता था. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू उसी वक्त उसकी देवरानी शहनाज के पास आती जाती थी जब दलजीत कौर का देवर घर पर नहीं होता था. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू दलजीत कौर की देवरानी को अक्सर अपनी स्कूटी पर घुमाने ले जाती थी. पूरा दिन घूम फिर कर मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू व दलजीत की देवरानी शहनाज़ शाम को घर वापिस आती थी. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू को अपने घर से लालुवाल मुख्य सडक तक आने जाने के लिए दलजीत कौर के घर के पीछे वाली सड़क से ही रास्ता है और वहीँ से आना जाना है.
दिनाक 12/09/25 को करीब शाम 5 बजे जब दलजीत कौर अपनी नवजात बेटी की नैपी फेकने बाहर आई तो उसने देखा कि मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू अपनी मम्मी (नाम भोली) के साथ पैदल जा रही थी तो दलजीत कौर ने उसे आवाज लगा कर रोक लिया और पूछा कि काज्जू मेरी देवरानी का कुछ पता है कि किधर है उसको करीब एक महीना हो गया है घर से गए हुए. इतने में दलजीत कौर की सास भी घर से बाहर आ गई. तब मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू ने सड़क से ही बोलना शुरू कर दिया कि मुझे नहीं पता कहा है शहनाज. दलजीत कौर ने कहा कि काज्जू व अकसर तेरे साथ ही घुमने आती जाती थी और तेरी ही सहेली है. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू दलजीत कौर पर आग बबूला हो गई और उसे बोली “चल कुत्ती चगल किसे थां दी” मुझ से सवाल जबाव ना कर मुझे नहीं पता शहनाज कहाँ है. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू बोली “सालेयो चमारो अस्सी जट हुँदे अस्सी जट्टीयाँ ही ब्याह के लियानियाँ तोडे चमारा मांग मुसलमाननियाँ नी लैके आनियाँ” दलजीत कौर की सास को मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू की मम्मी ने धक्का मारा और गालियाँ देते हुए बोली चल कुत्ती साली कहीं की तुहाडी चमारडी कदे आइये ना. मनप्रीत कौर उर्फ़ काज्जू ने दलजीत व उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी और कहा की तुम सब की गेम ओवर करवाना मेरे बाए हाथ का काम है. उसके बाद दोनों गाली गलोच करती हुई पैदल अपने घर को चली गई.
जैसे ही दलजीत कौर का पति घर आया तो दलजीत कौर उसी शाम दिनाक 12/09/25 को शाम करीब 5:30 अपनी 9 दिन की नवजात बच्ची को साथ लेकर थाना हरोली में गई और अपनी शिकायत वहां पर बताई पर वहां पर उसकी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया. उसे कहा गया कि अपने साथ चार गवाह उच्च जाति के लेकर आओ तभी मामला दर्ज होगा नहीं तो मामला दर्ज नहीं होगा. वह वहां से वापिस अपने घर आ गई. उसके बाद हवा लगने कारण दलजीत कौर और उसकी बेटी बहुत बीमार हो गई और घर पर ही रही. इसके बाद उसनेजिला ऊना में ASP श्री सुरेंद्र शर्मा को NDMJ – NCDHR टीम के साथ दिनाक 22-09-25 को शिकायत पत्र प्रस्तुत किया और दोषी के विरुद्ध SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज करवाया।
यह घटना जिला हमीरपुर की तहसील बड़सर के गांव ननावां की है। इस गांव में लगभग 51 वर्षीय व्यक्ति प्यारस्पुत्र स्व।रत्न चंद, निवास करता हैं। प्यार चन्द मजदूरी का काम करता है। प्यार चन्द तीन भाई है एक भाई दूकान करता है और एक फौज से सेवानिर्वित है।
प्यार चन्द की माता जिसका नाम अमरो देवी उम्र 76 वर्ष की थी। अमरो देवी कैंसर की बिमारी से पीड़ित थी उसका इलाज़ हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के एम्स अस्पताल में चल रहा था। दिनाक 29/08/25 को सुबह 8 बजे प्यार चन्द की माता अमरो देवी की एम्स अस्पताल में मृत्यु हो गई। प्यार चन्द व उसका परिवार अमरो देवी का मृत शरीर लेकर करीब 10 बजे अपने गांव निवास स्थान ननावां में लेकर आ गए। उस दिन लगातार भारी बारिश हो रही थी।
ननावां गांव में दलित समाज के करीब 40 घर है और इनको शव जलाने के लिए खड्ड (बरसात का नाला) में लेकर जाना पड़ता है। उस दिन भारी बारिश के चलते खड्ड में काफी पानी आया हुआ था और वहां पर शव जलाना मुमकिन नहीं था इसलिए प्यार चन्द के चचेरे भाइयों व अन्य सभी ने ननावां के ग्राम पंचायत के प्रधान से कहा की आप खड्ड के बिलकुल साथ लगते गांव भेवड के प्रधान से बात करो की बारिश के कारण हम अमरो देवी का संस्कार आपके शमशान घाट में करना चाहते हैं क्योंकि व शमशान घाट खड्ड के साथ ही है और सरकारी ज़मीन पर बना है व वहा पर शव जलाने के लिए शैड भी बनी हुई है।
जब ननावां गांव के प्रधान ने भेवड गांव के प्रधान से बात करी तो उन्होंने ने साफ़ मना कर दिया की गांव वासी शमशान घाट में शव जलाने को मना कर रहे है क्योंकि व सारा गांव जाटों व राजपूतों का है। प्यार चन्द व उसका परिवार और सभी साग सम्बन्धी भरी बारिश में अमरो देवी का शव लेकर भेवड गांव के शमशान घाट में आ गए। वहाँ मौका पर जाट समाज से 7-8 लोग आ गये जिनमे मुख्य रूप से बर्फी व विक्रम सिंह थे उन्होंने गुस्से कहा की आप हरिजन लोग यहाँ शव नहीं जला सकते आप जाके खड्ड में ही जलाओ। आप हरिजन लोग खड्ड में ही जलाते है वहीँ पर जलाओ इसके साथ ही वे जाट लोग सब गाली गलोच पर उतारू हो गए।
मौका पर प्यार चन्द व उसके परिवार ने थाना बडसर से SHO को बुलाया लेकिन बर्फी व विक्रम सिंह के साथ साथ अन्य जाट समुदाय के लोग SHO पर दबाव बनाने लगे कि शव यहाँ पर नहीं जलेगा। फिर प्यार चन्द के परिवार ने SDM बडसर को फोन करा तो उन्होंने मौका पर तहसीलदार को भेजा फिर तहसीलदार ने जबरन 3 घंटे की मशक्त के बात अमरो देवी का शव जलवाया।